भोपाल, 8 जनवरी (आईएएनएस)| देश के पिछड़े और सुविधा विहीन इलाकों में गिना जाता है बुंदेलखंड, इस इलाके में तमाम समस्याएं है और उसमें से बड़ी समस्या स्वास्थ्य सुविधाएं भी हैं, क्यांेकि यहां आमलोगों के उपचार के लिए कोई सरकारी बड़ा संस्थान नहीं है। इस इलाके को स्वास्थ्य का बड़ा संस्थान मिले इसकी कवायद तेज हो गई है। प्रयास इस दिशा में हो रहे हैं कि इस क्षेत्र में आखिल भारतीय स्वास्थ्य संस्थान (एम्स) स्थापित किया जाए। बुंदेलखंड में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सात-सात जिले आते हैं। कुल मिलाकर इस क्षेत्र में 14 जिले हैं। मध्य प्रदेश के सात जिलों में सिर्फ सागर और दतिया में ही मेडिकल कॉलेज हैं, छतरपुर में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की कवायद चल रही है। इसके अलावा अन्य हिस्सों के लेागों को कई सौ किलो मीटर का सफर तय करने के बाद ही स्वास्थ्य सेवा मिल पाती है। इस क्षेत्र के लोगों को ज्यादा से ज्यादा और बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए एम्स को यहां स्थापित किए जाने की कोशिशें तेज हो गई हैं।
सूात्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के उस हिस्से में एम्स को स्थापित किया जा सकता है, जहां से हर हिस्से के लोगों का पहुंचना आसान हो। एम्स को लेकर खजुराहो के सांसद और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की जिम्मेदार लोगों से भी चर्चा हो चुकी है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में ही बुंदेलखंड को एम्स की सौगात मिल जाए।
बुंदेलखंड की स्वास्थ्य सेवाओं पर गौर करें तो यहां के लोगों को उपचार के लिए ग्वालियर और जबलपुर की ओर रुख करना पड़ता है, कई बार तो मरीज स्वास्थ्य सुविधा पाने के फेर में जान तक गंवा देता है। स्थानीय लोगों को लम्बे अरसे से बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दिलाने के प्रयास जारी हैं, अगर इस क्षेत्र को एम्स जैसा संस्थान मिल जाता है, तो यह क्षेत्र के लिए बड़ी सौगात होगी।
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