नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूनिटेक लिमिटेड के पूर्व प्रमोटर संजय चंद्रा को उनके ससुर के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए 15 दिनों की अंतरिम जमानत दे दी। उनका इस सप्ताह निधन हो गया था।
न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने अंतरिम जमानत के लिए आवेदन पर चंद्रा के वकील की दलीलें सुनने के बाद उन्हें 15 दिनों के लिए राहत देने पर सहमति जताई।
हालांकि शीर्ष अदालत ने कुछ और समय देने की उनके वकील की दलील को स्वीकार नहीं किया और चंद्रा के वकील से उन परिस्थितियों को समझने को कहा, जिनके तहत इस साल मार्च में शीर्ष अदालत ने उनके मुवक्किल की जमानत पर रोक लगा दी थी।
दरअसल शीर्ष अदालत ने पिछले साल अगस्त में चंद्रा की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इससे एक महीने पहले जुलाई महीने में ही उसे मानवीयता के आधार पर 30 दिन की अंतरिम जमानत दी गई थी, क्योंकि उसके माता-पिता कोविड-19 संक्रमित पाए गए थे।
शीर्ष अदालत ने तब चंद्रा को तीन दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था और अदालत ने चंद्रा के भाई अजय चंद्रा की जमानत अर्जी भी खारिज कर दी थी, जो अगस्त 2017 से जेल में है।
दोनों भाइयों पर कथित तौर पर उन घर खरीदारों के पैसे की हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है, जिन्होंने उनकी कंपनी की आवास परियोजनाओं में निवेश किया था।
मार्च 2021 में न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने चंद्रा बंधुओं की जमानत याचिकाओं पर विचार करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट और एक मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की खिंचाई की थी और इसने पिछले साल अगस्त में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस मामले में जमानत देना न्यायिक शक्ति सही प्रयोग नहीं होगा और साथ ही यह न्यायिक अनुशासन का उल्लंघन भी होगा।
संजय और अजय दोनों पर कथित रूप से घर खरीदारों के पैसों का गबन करने के आरोप में सुनवाई के दौरान अगस्त 2020 में, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और एम. आर. शाह की पीठ ने कहा था कि दोनों भाइयों ने शीर्ष अदालत के अक्टूबर 2017 के आदेश का पालन नहीं किया है। इसके अनुसार उन्हें जमानत को लेकर पात्र होने के लिए 31 दिसंबर 2017 तक कोर्ट की रजिस्ट्री में 750 करोड़ रुपये जमा करने थे।
दिसंबर 2019 में ग्रांट और थॉर्नटन ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिसमें खुलासा किया गया था कि यूनिटेक द्वारा 29,800 होमबॉयर्स (घर खरीदार) से 14,270 करोड़ रुपये की राशि एकत्र की गई थी।
रिपोर्ट में कथित तौर पर दावा किया गया कि उस राशि में से 13,364 करोड़ रुपये का पता बैंक स्टेटमेंट से लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें करीब 90 प्रतिशत रुपये 2006 से 2014 के बीच मिले थे।
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