नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की आगरा और वाराणसी जेलों में बंद 97 कैदियों को अंतरिम जमानत दे दी है, क्योंकि वे 20 साल से अधिक की सजा काट चुके हैं। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता ऋषि मल्होत्रा ने तर्क दिया कि कैदियों को रिहा नहीं करना राज्य सरकार द्वारा बनाई गई 2018 की नीति का उल्लंघन है और यह कैदियों को अवैध हिरासत में रखने के समान है।
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जे.के. माहेश्वरी ने एक आदेश में कहा, “जारी नोटिस तीन सप्ताह में वापस किया जा सकता है। चूंकि याचिकाकर्ता 20 साल से अधिक समय से जेल में हैं, इसलिए उन्हें निचली अदालत द्वारा लगाए जाने वाले नियमों और शर्तो के अधीन अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाएगा।”
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि 2018 की राज्य सरकार की नीति के अनुसार, जिसे संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत बनाया गया था, वे रिहा होने के हकदार थे। जुलाई 2021 में हालांकि, राज्य सरकार ने नीति में संशोधन किया, और याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि संशोधन दोषियों के अधिकारों को हरा देता है।
याचिका में कहा गया है, “संशोधित नीति के आधार पर दोषियों के अधिकारों को सीमित करने का प्रयास किया गया है, ताकि केवल 60 वर्ष या उससे अधिक आयु प्राप्त करने वाले दोषियों को 1 अगस्त, 2018 की नीति का लाभ दिया जा सके।”
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि उनकी दोषसिद्धि के समय जो नीति अस्तित्व में थी, उसका पालन किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि आजीवन कारावास की सजा पाने वाले सभी याचिकाकर्ता पहले ही 2018 की नीति में निर्धारित सजा की आवश्यक अवधि से अधिक, 16 साल वास्तविक और 4 साल छूट के साथ भुगत चुके हैं।
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