November 18, 2024

हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामले में पत्रकार के खिलाफ गिरफ्तारी से पहले जमानत की चुनौती को रद्द किया

नई दिल्ली, 4 जून (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस साल फरवरी में राष्ट्रीय राजधानी में दर्ज दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी मुंबई के एक टीवी एंकर को दी गई अग्रिम जमानत को रद्द करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं बनता है।

पीड़िता की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने दुष्कर्म कानून में वैधानिक परिवर्तनों की अवहेलना करते हुए जमानत दी और इसने धारा 164 के कथन को भी चुनिंदा रूप से पढ़ने पर भी संदेह का लाभ प्रदान किया। इसी के चलते आरोपी 50 दिनों तक गिरफ्तारी से बचते रहे।

पीठ ने पीड़िता के वकील से पूछा, हमारा सवाल विशुद्ध रूप से केवल जमानत के उद्देश्य से है। यह सामान्य मानवीय आचरण और समझ का सवाल है। पीठ ने कहा, “अगर कोई पुरुष और महिला एक कमरे में हैं और पुरुष अनुरोध करता है और महिला उसका अनुपालन करती है, तो क्या हमें इस स्तर पर और कुछ कहने की जरूरत है?”

पीड़िता के वकील ने दलील दी कि आईपीसी में कहा गया है कि प्रत्येक अधिनियम के लिए स्पष्ट सहमति होनी चाहिए। वकील ने कहा, “अगर किसी कार्य विशेष में कोई पुरूष शामिल होना चाहता है, लेकिन इस पर कोई सहमति नहीं है, तो यह एक अपराध है।”

शीर्ष अदालत द्वारा दुष्कर्म पीड़िता की उस याचिका पर सुनवाई की जा रही थी, जिसमें मुंबई टीवी पत्रकार वरुण हिरेमथ को गिरफ्तारी से पहले जमानत देने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध में गलती से अग्रिम जमानत दे दी। हाई कोर्ट ने हिरेमथ को इस शर्त पर अंतरिम संरक्षण दिया था कि जब भी जरूरत होगी वह जांच में शामिल होंगे।

दिल्ली की एक अदालत ने पहले हीरेमथ के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। मार्च में हुई सुनवाई ने दुष्कर्म के मामले में हिरेमथ की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

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