नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)| किसानों का आंदोलन शुक्रवार को 23वें दिन जारी है और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों की तरफ से रोज आंदोलन को तेज करने की रणनीति बनाई जा रही है। इस बीच किसानों के आंदोलन का मसला देश के सर्वोच्च न्यायालय में है, इसलिए किसान नेताओं की निगाहें अदालती कार्यवाही पर भी बनी हुई हैं। हालांकि शीर्ष अदालत ने मामले में किसानों को सड़कों से धरना-प्रदर्शन हटाने को लेकर कोई आदेश अब तक नहीं दिया है, लेकिन किसान नेताओं का कहना है कि अगर अदालत की तरफ से उनको कोई नोटिस मिलेगा तो वे उस पर वकीलों की राय लेंगे।
पंजाब में ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी मेजर सिंह पुनावाल ने आईएएनएस से कहा, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से किसानों को जब इस संबंध में कोई नोटिस मिलेगा तो हम उस पर वकीलों की राय लेंगे। पुनावाल ने कहा कि किसानों का यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है और यह तक तक चलता रहेगा जब तक सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी। उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को 20 दिसंबर को श्रद्धांजलि दी जाएगी।
देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसान 26 नवंबर से डेरा डाले हुए हैं। वे केंद्र सरकार द्वारा कोरोना काल में लागू तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इन कानूनों के विरोध में किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं लेगी तब तक उनका आंदोलन चलता रहेगा।
पंजाब में भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने कहा कि पंजाब से हर घर से कम से कम एक आदमी रोज आ रहे हैं और देश के अन्य प्रांतों के लोग भी उनके आंदोलन में शामिल हो रहे हैं, इसलिए कुछ दिनों पहले दिल्ली की सीमाओं पर जहां हजारों की तादाद में लोग प्रदर्शन में शामिल थे वहां अब लाखों की तादाद हो गई है।
लाखोवाल ने कहा कि रोजाना की भांति आज (शुक्रवार) को भी किसान संगठनों के नेताओं के बीच सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन की आगे की रूपरेखा व रणनीति को लेकर विचार-विमर्श होगा और शाम में प्रेसवार्ता का भी आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से संबंधित याचिकाओं पर हो रही सुनवाई पर भी उनकी नजर है और इस पर भी किसानों नेताओं के बीच मंत्रणा होती है।
प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने गुरुवार को मामले में सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल से पूछा कि क्या आप यह आश्वासन दे सकते हैं कि जब तक मामले में सुनवाई चल रही है तब तक आप कानून को लागू नहीं करेंगे। हालांकि शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट किया कि यह कानून पर रोक लगाने की राय नहीं है बल्कि केंद्र सरकार और किसान यूनियन के बीच वार्ता की संभावनाओं को तलाशने की कवायद है। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि किसान नेता जिद पर अड़े हैं और वे तब तक कोई बात नहीं करना चाहते हैं जब तक सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं ले लेती है।
लाखोवाल ने कहा, हम तो चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट तीनों कानूनों पर तब तक के लिए रोक लगा दे जब तक सरकार और किसान के बीच वार्ता के माध्यम से मसले का समाधान नहीं हो जाए।
पंजाब के एक अन्य संगठन भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहां) के प्रेसीडेंट जोगिंदर सिंह ने कहा कि नये कृषि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन के दौरान करीब दो दर्जन किसानों की मौत हो गई है। उन्होंने कहा, किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों को 20 दिसंबर को हम श्रद्धांजलि देंगे। देशभर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा।
जोगिंदर सिंह ने भी बताया कि शुक्रवार शाम किसान नेताओं की एक प्रेसवार्ता होगी जिसमें आंदोलन की आगे की रणनीति के संबंध में बताया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, अभी तक किसानों को इस संबंध में अदालत का कोई नोटिस नहीं मिला है। अगर कोई नोटिस मिलेगा तो हम उस पर विचार-विमर्श करेंगे।
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