November 17, 2024

कोविड से मौत पर मुआवजे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, केंद्र से मांगा जवाब

नई दिल्ली, 21 जून (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से कहा कि वह प्रत्येक राज्य द्वारा कोविड से पीड़ित लोगों को दिए जाने वाले मुआवजे और इस संबंध में किस फंड का उपयोग किया जा रहा है, इस बारे में अदालत को ब्योरा मुहैया कराए।

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति अशोक भूषण और एम. आर. शाह की पीठ के सामने कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार के पास कोविड पीड़ितों के परिजनों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने के लिए धन नहीं है। फिलहाल व्यय पर समग्र ध्यान है, जिसमें पुनर्वास, शमन, तैयारियों के लिए धन का उपयोग करना शामिल है।

इस पर न्यायमूर्ति शाह ने कहा, ” तो फिर आपका कहना है कि आपके पास अनुग्रह राशि के लिए नहीं, बल्कि अन्य उपायों के लिए धन है। यदि सरकार कहती है कि उसके पास धन नहीं है तो इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा।”

पीठ ने इस पहलू पर केंद्र से स्पष्टीकरण मांगा।

पीठ ने मेहता से कहा कि वह प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 से मरने वालों के परिवारों को भुगतान की गई मुआवजा राशि का विवरण दें और भुगतान किस फंड से किया गया, इसके बारे में भी जानकारी दें। केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि अधिकांश प्रदेश राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के अलावा अन्य फंडों से भुगतान कर रहे हैं।

मामले में एक हस्तक्षेपकर्ता की ओर से पेश हुए एक वकील ने कहा कि कोविड पीड़ितों को मुआवजे पर एक समान योजना नहीं है। उन्होंने दलील दी कि दिल्ली में 50,000 रुपये का भुगतान किया जा रहा है, जबकि बिहार में कोविड की मौत के लिए 4 लाख रुपये का भुगतान किया जा रहा है। एक समान मुआवजा नीति पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, यह असमानता क्यों है? केंद्र को इसकी अनुमति क्यों देनी चाहिए? एक ही स्थिति में लोगों के साथ असमान व्यवहार कैसे किया जा सकता है?

पीठ ने पूछा, क्या राष्ट्रीय प्राधिकरण की ओर से अनुग्रह राशि नहीं देने का कोई निर्णय लिया गया है?

इस पर मेहता ने उत्तर दिया कि उन्हें पता नहीं है कि राष्ट्रीय प्राधिकरण ने निर्णय लिया है या नहीं। उन्होंने प्रस्तुत किया कि वित्त आयोग ने हालांकि इसका संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि आयोग ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया के लिए वित्त का वितरण किया है और कोविड महामारी से प्रभावित लोगों की मदद करने का प्रयास किया है।

पीठ ने जवाब दिया कि आयोग वैधानिक दायित्वों की अवहेलना नहीं कर सकता है? राष्ट्रीय प्राधिकरण द्वारा निर्णय कहां है?

कोविड-19 से प्रभावित लोगों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समान नीति और दिशानिदेशरें के पहलू पर, शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रथम ²ष्टया यह प्रक्रिया बहुत जटिल है। पीठ ने केंद्र से कहा, क्या इसे सरल नहीं बनाया जा सकता? जिनके मृत्यु प्रमाण पत्र गलत तरीके से जारी किए गए हैं, उनके लिए क्या उपाय उपलब्ध है? आपको इसे और अधिक भ्रमित करने के बजाय प्रक्रिया को सरल बनाने की जरूरत है।

दो घंटे से अधिक समय तक मामले की सुनवाई के बाद, शीर्ष अदालत ने मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता एस. बी. उपाध्याय और अन्य वकीलों को तीन दिन में लिखित जवाब दाखिल करने को कहा।

इससे पहले अपने हलफनामे में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि कर राजस्व में कमी और कोरोनावायरस महामारी के कारण स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि के कारण राज्यों और केंद्र पर गंभीर वित्तीय दबाव है। इसलिए उनके लिए कोविड-19 के कारण मरने वाले सभी लोगों को 4 लाख रुपये का मुआवजा देना संभव नहीं है। केंद्र ने इस पर दलील पेश करते हुए कहा कि अगर ऐसा किया भी जाता है तो यह आपदा राहत कोष को समाप्त कर देगा और केंद्र एवं राज्यों की कोविड-19 की भविष्य की संभावित लहरों से निपटने को लेकर की जाने वाली तैयारी को भी प्रभावित करेगा।

शीर्ष अदालत ने कोविड से मरने वालों के परिवारों को 4 लाख रुपये के मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

About Author

You may have missed