November 17, 2024

टीकाकरण नीति के संबंध में अपनी सोच को दर्शाने वाले दस्तावेज पेश करे केंद्र : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 2 जून (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वह टीकाकरण नीति के संबंध में अपनी सोच को दर्शाने वाले दस्तावेजों के साथ ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अब तक टीकाकरण की आबादी के प्रतिशत (एक खुराक और दोनों खुराक के साथ) पर डेटा प्रस्तुत करे। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, एल. नागेश्वर राव और एस. रवींद्र भट की पीठ ने कहा, यूओआई (भारत संघ) यह भी सुनिश्चित करेगा कि सभी प्रासंगिक दस्तावेजों और फाइल नोटिंग की प्रतियां, जो इसकी सोच को दशार्ती हैं और टीकाकरण नीति में परिणत होती हैं, टीकाकरण नीति पर संलग्न होनी चाहिए। इसलिए, हम यूओआई को 2 सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।

पीठ ने केंद्र को चरण 1, 2 और 3 में शेष आबादी का टीकाकरण कैसे और कब करना है, इसकी रूपरेखा तैयार करने पर भी जोर दिया।

शीर्ष अदालत ने टीकाकरण अभियान के पहले तीन चरणों में पात्र व्यक्तियों के मुकाबले आबादी के प्रतिशत (एक खुराक और दोनों खुराक के साथ) पर डेटा भी मांगा। पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि डेटा में ग्रामीण आबादी का प्रतिशत और साथ ही अब तक टीकाकरण की गई शहरी आबादी का प्रतिशत शामिल होना चाहिए।

शीर्ष न्यायालय ने केंद्र से कहा कि कोविड-19 के समस्त टीकों (कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पुतनिक वी) की खरीद का ब्योरा देते हुए वह पूरे आंकड़े पेश करें।

कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से वैक्सीन खरीद की पूरी जानकारी देने को कहा है। कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र को आदेश दिया कि अभी तक वैक्सीन की जो खरीद हुई है उसका पूरा विवरण पेश करें। इसके अलावा अब तक किनी आबादी को वैक्सीनेट किया जा चुका है, इसका भी डेटा पेश करें।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि वह बताए कि अभी तक कोरोना की कितनी वैक्सीन कब-कब खरीदी गई हैं। कितनी आबादी को वैक्सीन दी जा चुकी है और बाकी बचे लोगों को कबतक वैक्सीनेट किया जाएगा।

जैसे कि केंद्र ने अपने 9 मई के हलफनामे में कहा था कि प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकार अपनी आबादी को मुफ्त में टीकाकरण प्रदान करेगी, अदालत ने कहा, यह महत्वपूर्ण है कि अलग-अलग राज्य/केंद्र शासित प्रदेश इस अदालत के समक्ष इस स्थिति की पुष्टि/ इनकार करें।

शीर्ष अदालत ने प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों को 2 सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने, अपनी स्थिति स्पष्ट करने और अपनी व्यक्तिगत नीतियों को रिकॉर्ड करने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस) के इलाज के लिए दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, इसकी अपडेट जानकारी भी दें।

शीर्ष अदालत ने देश में कोविड-19 प्रबंधन से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए उसके द्वारा शुरू किए गए स्वत: संज्ञान मामले में यह आदेश पारित किया। अदालत ने मामले को 30 जून को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया है।

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