वाराणसी, 23 जून (आईएएनएस)| बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) प्रशासन अब छात्रों और शिक्षकों द्वारा नए शोध के लिए पेटेंट और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) की लागत वहन करेगा।
विश्वविद्यालय ने इस उद्देश्य के लिए विभिन्न क्षेत्रों के आठ विशेषज्ञों का एक पैनल बनाया है।
बीएचयू के प्रवक्ता राजेश सिंह ने कहा, “शैक्षणिक अनुसंधान के महत्व को देखते हुए विश्वविद्यालय ने पेटेंट का खर्च वहन करने का फैसला किया है। शोधकर्ता इस उद्देश्य के लिए गठित विशेषज्ञों के पैनल के माध्यम से अपने आविष्कारों के पेटेंट के लिए पंजीकरण करा सकते हैं। खर्चे इस प्रक्रिया का वहन विश्वविद्यालय द्वारा किया जाएगा।”
विश्वविद्यालय की अधिसूचना के अनुसार, विशेषज्ञ पैनल में नोएडा (खाद्य प्रौद्योगिकी) के डॉ विशाल त्रिपाठी, नई दिल्ली के सुदर्शन कुमार बंसल और कोलकाता से जोशिता डावर खेमानी (मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर साइंस, फामेर्सी, केमिस्ट्री और बायोटेक्नोलॉजी), अंशुल सुनील सौराष्ट्री (जैव रसायन) मुंबई से , नोएडा से प्रियंका दुबे (रसायन विज्ञान और जीवन विज्ञान), गुरुग्राम से अनुपम त्रिवेदी (जैव प्रौद्योगिकी, जैव विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान), नई दिल्ली से मधुलता कुमारी (सूचना प्रौद्योगिकी) और गुरुग्राम से डॉ रमेश कुमार मेहता (रसायन विज्ञान) शामिल हैं।
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