पटना, 5 जनवरी (आईएएनएस)| पटना के राजधानी जलाशय के आसपास इन दिनों देशी और विदेशी पक्षियों का जमावड़ा लगा हुआ है। इस जलाशय को देखने के लिए अब लोग भी जुटने लगे हैं।
राजधानी के 7 एकड़ में फैले इस राजधानी जलाशय को चार जनवरी से स्कूली बच्चों के लिए खोल दिया गया है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस जलाशय में गेडवॉल, नॉर्दर्न शोवलर, लेसर व्हिसिलिंग डक, कॉम्ब डक, लालसर, मूरहेन, कॉरमोरंट और पिनटेल जैसे पक्षी देखे जा रहे हैं। तालाब के चारों ओर पेड़-पौधे लगाकर जंगल जैसा नजारा बनाया गया है। इसमें 73 प्रजाति के पेड़-पौधे लगाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि पेड, पौधों की ओर प्रवासी पक्षी आकर्षित हो सकेंगे और यहां अपना डेरा जमा सकें। तालाब और उसके आसपास के क्षेत्र का अभी और सौंदर्यीकरण करवाया जाना है। फिलहाल दिसंबर खत्म होने वाला है और इस तालाब में पक्षियों की भरमार दिख रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को इस तालाब का निरीक्षण किया। वह काफी देर तक पक्षियों को निहारते रहे। उन्होंने काफी देर तक दूरबीन से भी पक्षियों को देखा। उन्होंने कहा था कि इस बात की बहुत खुशी है कि इस तालाब में पक्षी आ रहे हैं। पहले इसमें सिर्फ मछली पालन होता था। लेकिन, अब पर्यावरण संरक्षण की ²ष्टि से इसे विकसित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि यह मृतप्राय जलाश्य था, जिसे अब विकसित किया गया है। वन क्षेत्र अधिकारी (रेंजर) अरविंद कुमार शर्मा बताते हैं कि तालाब के चारों ओर लोगों की सैर के लिए 12 फुट का चौड़ा रास्ता बनाया गया है। यहां आने वाले पर्यटक न केवल दुर्लभ पक्षियों को बहुत करीब से देख सकेंगे बलिक जंगलों के भ्रमण का भी एहसास करेंगे। उन्होंने बताया कि इस जलाशय को अभी बच्चों के लिए खोला गया है।
सोमवार को बड़ी संख्या में बच्चे यहां पुहंचे और तरह-तरह के पक्षियों को देखकर रोमांचित हुए। बताया जा रहा है कि इस जलाशय के आसपास अगस्त-सितंबर से ही पक्षियों का आगमन प्रारंभ हो गया। वन अधिकारियों का कहना है, यहां न केवल सरइबेरियन पक्षी आ रहे हैं बलिक यूरोप और अफ्रीका से भी पक्षी पहुंचे हैं।
यहां विभिन्न तरह के पेड़ पौघे लगाए गए हैं, जिनमें अधिकांश औषधीय पौधे हैं।
मंदार नेचर क्लब, भागलपुर के संस्थापक और पक्षियों के जानकार अरविंद कुमार मिश्र बताते हैं कि एक साल पहले तक यहां पक्षी नहीं आते थे, लेकिन विभाग द्वारा इस क्षेत्र को पक्षियों के आश्रयस्थली के रूप में विकसित किए जाने के बाद यह क्षेत्र आज पक्षियों के लिए पनाहगार बना हुआ है।
उन्होंने बताया कि प्रवासी पक्षी दिसंबर में गर्म प्रदेशों में आते थे, वे अब नवंबर में आने लगे हैं। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि इन पक्षियों के मूल प्रदेशों में जबरदस्त बर्फबारी हुई है। वहां भोजन की किल्लत और सभी जलाशयों में बर्फ जमा होने के कारण ये पक्षी यहां आए हैं। प्रजनन काल के दौरान ये सभी पक्षी वापस अपने क्षेत्र लौट जाते हैं।
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