नई दिल्ली, 8 जनवरी (आईएएनएस)| निहत्थे वन अधिकारियों पर शिकारियों द्वारा किए गए क्रूर हमले पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकारों से असम मॉडल का पालन करने और वन रक्षकों को हथियार और बुलेटप्रूफ जैकेट प्रदान करने को कहा। प्रधान न्यायाधीश एस.ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वन अधिकारियों को वन भूमि और वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की सुरक्षा करते वक्त चप्पल पहने देखना और लाठी-डंडे हाथ में लिए देखना ‘अत्यंत कष्टदायी’ है।
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी देखा कि निहत्थे अधिकारियों के पास भारी सशस्त्र शिकारियों के खिलाफ बहुत कम मौका होता है। उन्होंने कहा, “एक फॉरेस्ट रेंजर उस स्थिति में होता है, जब वह किसी शहर में पुलिसकर्मी को मदद के लिए फोन नहीं कर सकता है। कोई भी व्यक्ति जंगल में उसकी मदद करने के लिए नहीं होता है।”
मुख्य न्यायाधीश ने याद किया कि पिछले दिनों वन अधिकारियों ने पैंगोलिन स्कैल को जब्त किया था और ये चीन में काफी मांग में थे। लाखों डॉलर में चल रहे वन्यजीवों के अवैध अंतरराष्ट्रीय व्यापार के हिस्से के रूप में शिकारी काम करते हैं।
न्यायाधीश ने कहा, “जब शक्तिशाली संगठित गिरोह इसके पीछे होते हैं, तो वन अधिकारियों को हथियारों से लैस होना चाहिए। यदि संभव हो तो प्रवर्तन निदेशालय को लाखों डॉलर के वन्यजीवों के अवैध व्यापार से निपटने के लिए वाइल्डलाइफ विंग खोलना चाहिए।”
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के सुझाव से सहमति व्यक्त की और कहा कि केंद्र सरकार ऐसी संभावना का पता लगाएगी।
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