नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)| कोरोना महामारी से मिली आर्थिक चुनौतियों से निपटने की तमाम कोशिशों के बावजूद लोगों के रोजगार पर इस संकट की भारी मार पड़ी है। खासतौर पर वेतनभोगी कर्मचारियों पर कोरोना से मिली आर्थिक चुनौतियों का काफी असर पड़ा है। यह बात कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के आंकड़ों से जाहिर होती है। ईपीएफओ के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2020-21 के आरंभिक नौ महीने यानी अप्रैल से दिसंबर के दौरान 71,01,929 भविष्य निधि के खाते बंद किए गए जो कि एक साल पहले की समान अवधि के दौरान बंद किए गए खातों की संख्या 66,66,563 से 6.5 फीसदी अधिक है। यह जानकारी श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार ने लोकसभा में एक अतारांकित प्रश्न के लिखित जवाब में दी है।
लोकसभा सदस्य अब्दुल खालेक के सवाल का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री ने सदन को बताया कि 2020 के अप्रैल से लेकर दिसंबर तक ईपीएफ के 71,01,929 खाते बंद किए गए।
उन्होंने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि 2020 अप्रैल से दिसंबर के दौरान ईपीएफ खातों से 73,498 करोड़ रुपये की निकासी की गई जबकि 2019 की इसी अवधि के दौरान 55,125 करोड़ रुपये की निकासी की गई थी। आलोच्य वित्त वर्ष के आरंभिक नौ महीने के आंकड़ों से जाहिर है कि पिछले साल अक्टूबर महीने में सबसे ज्यादा 11,18,751 खाते बंद किए गए जबकि इससे पहले सितंबर महीने में 11,18,517 खाते बंद किए गए।
जानकार बताते हैं कि कर्मचारियों के पीएफ खाते कई कारणों से बंद होते हैं। मसलन, नौकरियां छूट जाने से बेकारी का शिकार होना, सेवानिवृत्त होना और कभी-कभार नौकरियां बदलने पर भी लोग पीएफ अकाउंट बंद कर देते हैं।
मालूम हो कि कोरोना महामारी के मद्देनजर पिछले साल केंद्र सरकार ने इपीएफ खाते से तीन महीने के वेतन की निकासी की अनुमति दी थी जिसपर सर्विस चार्ज की छूट दी गई थी।
एक अन्य सदस्य राकेश सिंह के सवालों का जवाब देते हुए गंगवार ने कहा कि ईपीएफ में निवेश में पिछले तीन साल से बढ़ोतरी की प्रवृति देखी गई है। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019-20 में ईपीएफ में 1,68,661.07 करोड़ रुपये का निवेश हुआ जबकि इससे पूर्व 2018-19 में 1,41,346.85 करोड़ रुपये और 2017-18 में 1,26,119.92 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था।
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