नई दिल्ली, 4 अप्रैल (आईएएनएस)| ब्रिटेन में कोरोनावायरस के दूसरे लहर की शुरुआत युवाओं से हुई है और भारत में भी परिदृश्य कुछ ऐसा ही है। कोरोना के नए स्ट्रेन की चपेट में आने के बाद एक से अधिक लोगों में इसका असर होता गया। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के न्यूफिल्ड डिपार्टमेंट ऑफ पॉपुलेशन हेल्थ में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर झेंमिंग चेन ने इसकी जानकारी दी है।
चेन ने आगे कहा कि ब्रिटेन के मरीजों में कोविड-19 की अवधि काफी लंबे समय से बरकरार देखी जा रही है। हालांकि इसका कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है।
विशेषज्ञों से इस पर की गई बात का अंश कुछ इस प्रकार से है :
सवाल : विशेषज्ञों का कहना है मामलों की संख्या में वृद्धि के पीछे युवा जिम्मेदार हैं। क्या ऐसा मुमकिन है कि नए स्ट्रेन की चपेट में आए युवा इसे एक से अधिक लोगों में फैला रहे हैं, जिसके चलते मामलों में वृद्धि हो रही है?
जवाब : हां, इसकी काफी अधिक संभावना है। ब्रिटेन में युवाओं द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर आपस में अधिक घुलने-मिलने और स्कूलों में वापसी करने के मद्देनजर ही ब्रिटेन में कोरोना की दूसरी लहर शुरू हुई है।
सवाल : क्या इस बात की संभावना है कि दूसरी लहर की वजह से मौत की संख्या में वृद्धि हो या कोरोना संक्रमण का प्रभाव किडनी, फेफड़े पर अधिक देखे जाने की संभावना है cheska-lekarna.com?
जवाब : बहुत कम संभावना है क्योंकि मृत्यु दर कई कारणों से कम हो रही है जैसे कि बेहतर इलाज, मरीजों का नैदानिक प्रबंधन, नए संक्रमितों में युवाओं का अधिक होना इत्यादि। दूसरी ओर, अगर हेल्थ सिस्टम पर अधिक दबाव पड़े जैसा कि अभी ब्राजील में देखने को मिल रहा है, तो तस्वीर कुछ और हो सकती है। ब्रिटेन में कोरोना से लंबे समय से जूझने वाले मरीजों की संख्या ज्यादा है। ऐसे मरीजों को अस्पतालों से डिस्चार्ज होने में महीनों लग जाते हैं। हालांकि ऐसा हो क्यों रहा है इसकी वजह स्पष्ट नहीं है। यह शोध का एक नया विषय है।
सवाल : आमतौर पर इंसान की गतिविधियों को कोरोना के प्रसार का एक प्रमुख कारक माना जाता है। लेकिन दूसरी ओर कुछ विशेषज्ञ दूसरी लहर के पीछे नए स्ट्रेन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, जो संक्रामक तो है, लेकिन घातक नहीं। जिसके चलते ही शायद भारत के कई हिस्सों में मामलों में इजाफा हुआ है?
जवाब : ब्रिटेन में दूसरी लहर नए केंट स्ट्रेन की उत्पत्ति के साथ दृढ़ता से संबंधित है, जिसका यूरोप में प्रसार हो रहा है। दूसरी तरफ मानव व्यवहार की हमेशा से एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जैसे कि ब्रिटेन में जनवरी की शुरुआत में लॉकडाउन लगाया गया और जब बीते तीन महीनों की अवधि में मामलों में 60, 000 की संख्या से एक दिन में 5,000 की संख्या तक गिरावट देखी गई, लेकिन इसके बाद इसमें कुछ खास अंतर नहीं देखने को मिला। शायद लोग लॉकडाउन से उब गए होंगे या नियमों का ठीक से पालन नहीं कर रहे होंगे।
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