November 17, 2024

दिल्ली: फिर से ऑक्सीजन किल्लत, 180 मीट्रिक टन ऑक्सीजन कम मिली

नई दिल्ली, 1 मई (आईएएनएस)| ऑक्सीजन की कमी से जूझ रही दिल्ली की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। बीते 24 घंटे के दौरान दिल्ली को अपने तय कोटे के मुकाबले 180 मीट्रिक टन कम ऑक्सीजन मिली है। इससे दिल्ली के कई अस्पतालों में एक बार फिर ऑक्सीजन की भारी किल्लत उत्पन्न होने लगी है। कई छोटे बड़े अस्पतालों में महज आधे से एक घंटे की ही ऑक्सीजन ही बचा है। हालात बिगड़ते देख दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से दिल्ली को अतिरिक्त ऑक्सीजन मुहैया कराने की अपील की है।

केंद्र सरकार द्वारा ऑक्सीजन के लिए तय किए गए कोटे के मुताबिक दिल्ली को प्रतिदिन 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी जानी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुताबिक शुक्रवार को दिल्ली को केवल 312 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई जो कि तय कोटे से काफी कम है। दिल्ली को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति न किए जाने के कारण विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो गई है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा की ऑक्सीजन को लेकर दिल्ली के सारे अस्पतालों में हाहाकार मचा हुआ है। कई अस्पतालों ने कहा है कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो तो उन्हें अपने मरीज बाहर निकालने पड़ेंगे। ऑक्सीजन की बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है। आज भी विभिन्न अस्पतालों से लगातार ऑक्सीजन की कमी के संदेश आ रहे हैं। कई अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म होने के कगार पर है। कुछ अस्पतालों का कहना है कि उनके पास सिर्फ आधे घंटे की ऑक्सीजन बची है तो कुछ अस्पताल ऐसे हैं जिनके पास एक घंटे की ऑक्सीजन बची है।

ऑक्सीजन की किल्लत पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ‘मैं हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि दिल्ली को ऑक्सीजन मुहैया कराइए। जिन लोगों के हाथ में यह निर्णय लेने की शक्ति है मेरी उनसे अपील है कि दिल्ली को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाए। जिससे कि कोरोना कोरोना रोगियों की जान बचाई जा सके।’

केजरीवाल ने कहा कि ‘यह बहुत ही ज्यादा पीड़ादायी है। दिल्ली को उसके कोटे की ऑक्सीजन दी जाए। अपने लोगों की इस तरह होती मौतें अब और नहीं देखी जाती। ऑक्सीजन का एक प्रमुख मुद्दा है। सभी अस्पतालों से एसओएस आ रहा है। ऑक्सीजन की इस कमी पर हमने अदालतों में बात की है और केंद्र को भी लिखा है।’

गौरतलब है कि दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी यह विषय रखा जा चुका है।

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