नई दिल्ली, 9 (आईएएनएस)| कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए किसानों को अब 194 दिन हो चुके हैं, किसान अब भी अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं। किसानों ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर अपनी नाराजगी जताई है। प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संदेश पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा है, प्रधानमंत्री जी ने सोमवार को राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहीं भी तीनों कृषि कानूनों और देश में चल रहे किसान आंदोलन का जिक्र तक नहीं किया। एसकेएम के नेताओं ने कहा, आंदोलन में अब 500 से ज्यादा किसान साथी शहीद हो चुके हैं। जहां एक तरफ देश का किसान बाजार में मिल रही कम कीमतों के कारण भारी नुकसान उठा रहा है, तो वहीं सरकार सिर्फ और सिर्फ अपने अहंकार के कारण इस आंदोलन को इतना लंबा खींच रही है।
पंजाब में मक्के का एमएसपी 1850 रुपये प्रति क्विंटल घोषित है, लेकिन किसान को सिर्फ 700 से 800 रुपये प्रति क्विंटल ही मिल रहा है। यह उनकी लागत मूल्य तक को भी कवर नहीं करता है। अन्य चीजों के साथ डीजल की कीमतों में वृद्धि अभी भी जारी है।
संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, इस तरह की स्थिति में कैसे एक किसान परिवार किसानी पर निर्भर रह पाएगा, अपना जीवन निर्वाह करेगा? सवाल यह है कि ऐसी स्थिति में सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का अपना वादा कैसे पूरा करेगी?
मोर्चा ने मांग करते हुए कहा है कि सभी फसलों और किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए तत्काल एक कानून बने, ताकि फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित किया जा सके।
तीन नए अधिनियमित खेती कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
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