बाबूराम ( बरेली ब्यूरो चीफ)
बरेली , शराब ने न जाने कितने परिवारों को बर्बाद कर दिया और न जाने अभी और कितनी जिंदगियों को यह और निगलेगी। शहर में गंगापुर और संजय नगर का हाल एक जैसा है। यहां की भट्टियों में कभी ताले नहीं लगते। सुबह से लेकर सुबह तक ही यहां शराब खरीदने वालों की भीड़ लगी रहती है। कितने ही लोग शराब पीकर कभी फांसी लगा लेते हैं तो कभी जहर खाकर उनकी पत्नियां जान दे देती हैंपक की
मां चंद्रवती की जिंदगी में भी सब कुछ सही था। बेटे की शराब छुड़ाने के लिए कर्ज लेकर उसे अस्तपाल में भर्ती कराया और जब उसकी छुट्टी होने वाली थी तो सब लोग खुश थे। दीपक का बेटा दिव्यांश, दीपक की बहन आरती और परिवार के लोग उसे लेने के लिए अस्पताल पहुंचे थे लेकिन एक ही पल में दो जिदंगिया मौत के मुंह में समा गईं और अपनों को पछताने के लिए छोड़ गईं। शराब, क्लेश और फिर तनाव के कॉकटेल ने फिर से चंद्रवती के इकलौते बेटे दीपक और पौते दिव्यांश को मौत की गहरी नींद में सुला दिया लेकिन एक हादसे में परिवार का दीपक भी बुझ गया और अंश भी समाप्त हो गया।
शराब छोड़ना चाहता था दीपक
लोगों का कहना है कि दीपक के शरीर पर चोट के निशान थे। उसे जब अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो उसके जख्म ताजा थे। मानों की उसका किसी से झगड़ा हुआ हो। दीपक सुबह से लेकर रात तक शराब के नशे में धुत रहता था। उसकी इसी आदत के कारण पत्नी और उसका आए दिन विवाद होता रहता था। दीपक अपनी इस लत को छोड़ना चाहता था। इसलिए वह अस्पताल में भर्ती हुआ था लेकिन अचानक उसने आत्मघाती कदम क्यों उठाया इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
पत्नी को था हवा का चक्कर
चंद्रवती ने बताया कि शादी के बाद से ही दीपक की पत्नी मायके में कम रहती थी। वह झाडफूंक कराने के लिए धार्मिक स्थलों पर जाया करती थी। कुछ समय पहले चंद्रवती भी उसके साथ गई थी।
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