November 16, 2024

स्वतन्त्रता संग्राम में शहीद वीरांगना मातंगी हजारा की जयंती पर हृदयतल से विनम्र श्रद्धांजलि : जगदीश चन्द्र सक्सेना 

कुमार गौरव (बरेली रिपोर्टर)

बरेली, (उत्तर प्रदेश) । 1932 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए सविनय अवज्ञा आंदोलन में मातंगिनी हाजरा ने भाग लिया था। उन्हें नमक कानून तोड़ने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया। हाजरा को थोड़े दिनों बाद रिहा कर दिया गया, लेकिन उन्होंने करों को समाप्त करने के लिए विरोध किया। इस पर उन्हें फिर से गिरफ्तार कर बहरामपुर में 6 महीने तक कैद रखा गया। जब वो रिहा हुई तो उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की और एक सक्रिय कार्यकर्ता बन गईं। मातंगिनी ने महात्मा गांधी के रचनात्मक कार्यों को अपने जीवन में उतारा। हाजरा स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए स्वयं सूत कातती और खादी के कपड़े पहनती थीं। उन्होंने जनसेवा और देश की आज़ादी को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया था। वर्ष 1933 में उन्होंने सेरामपुर में कांग्रेस के उपसंभागीय सम्मेलन में भाग लिया और पुलिस द्वारा किए गए लाठी चार्ज में वह घायल हो गई थी 1935 में तामलुक क्षेत्र भीषण बाढ़ के कारण हैजा और चेचक फैल गया। इससे निपटने के लिए मातंगिनी हाजरा अपनी जान की परवाह किए बैगर राहत कार्य में जुट गईं। उन्होंने वर्ष 1942 में गांधीजी द्वारा चलाए गए ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में भी भाग लिया। इस आंदोलन के समय हाजरा की उम्र 71 वर्ष थी। 8 सितंबर को तामलुक में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोली चला दी, जिसमें तीन स्वतंत्रता सेनानी शहीद हो गए। लोगों ने इसके विरोध में 29 सितंबर को ओर भी बड़ी रैली निकालने का निश्चय किया। उन्होंने 6 हजार समर्थकों के साथ जिनमें ज्यादातर महिला स्वयंसेवक थी के जुलूस का नेतृत्व किया। जब जुलूस सरकारी बंगले पर पहुंचा तो पुलिस की बंदूकें गरज उठीं। इस जुलूस में मातंगिनी हाजरा ने तिरंगे झण्डे को अपने हाथों में ले रखा था और वह ‘वंदे मातरम्’ के नारे लगा रही थीं। तभी पुलिस की गोली उनके बाएं हाथ में लगी। इस पर उन्होंने झण्डे को दूसरे हाथ में थाम लिया तभी दूसरी गोली उनके दाएं हाथ में लगी और तीसरी गोली उनके सिर को भेद गई। इसके साथ ही हाजरा वहीं 29 सितंबर, 1942 को शहीद हो गईं। इसके बाद आंदोलन आग की तरह फैल गया। दस दिन में यहां से आंदोलनकारियों ने अंग्रेजों को खदेड़कर स्वाधीन सरकार स्थापित की, जो 21 महीने तक चलीं। मातंगिनी हजारा को सम्मान से ‘गांधी बूढ़ी’ और बंगाल की ‘ओल्ड लेडी गांधी’ नाम से भी पुकारा जाता है। क्रांतिकारी वीरांगना मातंगिनी हाजरा की जन्म जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन ।

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