प्रयागराज, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)| हाथरस पीड़िता के परिवार के सदस्यों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि जिला प्रशासन ने उन्हें उनके घर में अवैध रूप से कैद कर रखा है। कोर्ट से जिला प्रशासन को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि ‘परिवार के सदस्यों को अवैध कैद से मुक्त किया जाए और उन्हें अपने घर से बाहर निकलने और लोगों से मिलने की अनुमति दी जाए।’ पीड़िता के परिवार द्वारा दायर इस बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के लिए उसे 8 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया गया है।
पीड़िता के पिता ओम प्रकाश, पीड़िता की मां, दो भाइयों और परिवार के दो अन्य सदस्यों ने याचिका दायर की है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि 29 सितंबर को जिला प्रशासन ने याचिकाकतार्ओं को उनके घर में अवैध रूप से कैद कर दिया है और तब से उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है।
आगे यह भी आरोप लगाया गया है कि “हालांकि, बाद में कुछ लोगों को याचिकाकतार्ओं से मिलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन जिला प्रशासन अभी भी उन्हें (याचिकाकतार्ओं) को अपने घर से अपनी इच्छानुसार बाहर जाने की अनुमति नहीं दे रहा है।”
इस याचिका में याचिकाकतार्ओं ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें स्वतंत्र रूप से मिलने या संवाद करने से रोका जा रहा है, जिससे उनकी स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के साथ-साथ सूचना प्राप्त करने के अधिकार का भी उल्लंघन हो रहा है।
वहीं याचिका में खुद को अखिल भारतीय वाल्मीकि महापंचायत का राष्ट्रीय महासचिव होने का दावा करते हुए एक व्यक्ति सुरेंद्र कुमार ने कहा है कि उन्हें याचिकाकतार्ओं ने टेलीफोन पर संपर्क कर सारी जानकारी दी और उनकी ओर से ही उन्होंने याचिका दायर की है।
किसी व्यक्ति को अवैध रूप से कैद करने पर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका हाईकोर्ट में दायर की जाती है।
कोर्ट की कार्यवाही के दौरान अगर कोर्ट को पता चलता है कि व्यक्ति अवैध रूप से कैद में है, तो न्यायाधीश उस व्यक्ति की रिहाई का आदेश दे सकते हैं।
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