November 16, 2024

कोविशील्ड, कोवैक्सीन भंडारण के लिए ये है भारत की योजना

नई दिल्ली, 16 जनवरी (आईएएनएस)| भारत में शनिवार को सामूहिक कोविड-19 टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई है। इसके साथ ही लोगों के दिमाग में यह सवाल सबसे ऊपर है कि लाखों वैक्सीन का भंडारण और परिवहन कैसे हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, वर्तमान में भारत में 2 टीके सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक का ‘कोवैक्सीन’ आ गए हैं और पाइपलाइन में 4 और वैक्सीन हैं।
अच्छी खबर यह है कि फाइजर-बायोएनटेक या मॉडर्ना वैक्सीन को -70 डिग्री पर स्टोर करना होता है, जबकि इन भारतीय वैक्सीन को केवल 2-8 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहीत करने की जरूरत होती है।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव रेणु स्वरूप के अनुसार, सभी भारतीय वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर करना होगा और इसे एक अहम कारक के रूप में देखते हुए ही लॉजिस्टिक्स पर काम किया गया है।
सरकार ने अब तक 1.1 करोड़ ‘कोविशील्ड’ और 55 लाख ‘कोवैक्सीन’ टीके क्रमश: 200 रुपये और 206 रुपये प्रति डोज की कीमत पर खरीदे हैं।

द लैंसेट में प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, ‘कोविशील्ड’ के आखिरी चरण के ट्रायल्स के अंतरिम डाटा के विश्लेषण में 70.4 प्रतिशत की औसत प्रभावकारिता दिखाई है।

वहीं कोवैक्सीन एक अत्यधिक शुद्ध और 2 डोज वाला सार्स-कोव-2 वैक्सीन है।

टीके के भंडारण के लिए उपयोग किए जाने वाले 225 लीटर के मेडिकल रेफ्रिजरेटर में 40 हजार से 60 हजार शीशियां स्टोर हो सकती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने दिसंबर में बताया था कि कोविड-19 स्टोरेज के लिये लिए 29 हजार कोल्ड चेन पॉइंट, 240 वॉक-इन कूलर, 70 वॉक-इन फ्रीजर, 45 हजार आइस-लाइंड रेफ्रिजरेटर, 41 हजार डीप फ्रीजर्स और 300 सोलर सोलर जनरेटर का उपयोग किया जाएगा।

उन्होंने कहा था, “टीकाकरण के लिये सभी जरूरी संसाधन राज्यों को पहुंचा दिए गए हैं।” वहीं ऑर्गेनाइज्ड प्राइवेट कोल्ड चेन स्टोरेज में कुल 25-30 करोड़ डोज स्टोर करने की क्षमता होगी।

बता दें कि दुनिया का टीकाकरण अभियान दुनिया का सबसे बड़ा अभियान है, जिसमें 6 करोड़ से ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया जाएगा। वैसे, देश में हर साल लगभग 52 करोड़ टीकाकरण यूनिवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) के तहत और 1.32 बिलियन टीकाकरण गैर-यूआईपी वाले किए जाते हैं।

एम्स दिल्ली के कम्युनिटी मेडिसिन सेंटर में एसोसिएट प्रोफेसर हर्षल आर. साल्वे कहते हैं, “ये अनुभव भारत को बड़े स्तर पर कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम को चलाने में मदद करेंगे।”

सरकार वैक्सीन स्टॉक, भंडारण की जानकारी और डोज पाने वाले लोगों को ट्रैक करने के लिए को-विन नाम के एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करेगी। इससे टीके के बाद कोई अवांछित घटना होने जैसी स्थितियों की निगरानी भी की जाएगी।

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