संवाददाता :- गुड्डू भारती
अल्मोड़ा, (उत्तराखंड) / पंद्रह अगस्त पर वैज्ञानिक डॉ रमेश सिंह पाल ने झंडारोहण के बाद कहां की भारत केवल एक पृथ्वी या भूखण्ड का टुकड़ा मात्र नही है। भारत उन महापुरुषों की कर्मभूमि है जिन्होंने जीवन के परमसत्य को जाना, जिन्होंने मनुषत्व से देवत्व तक के सफर को यही पर तय किया, आज भी उनके उस देवत्व की खुशबू का असर हवाओं में मौजूद है। अगर हममे थोड़ी भी संवेदनशीलता और ग्रहणशीलता हो तो हम उस खुसबू को आज भी महसूस कर सकते है जो इस अद्भुत भूमि को घेरे हुए है।
भारत का अर्थ होता है, जो अंधकार से प्रकाश की ओर गतिमान हो। पूरी दुनिया में भारत ही एक मात्र ऐसी भूमि है, जिसने अद्भुत रूप से अपनी सारी प्रतिभा को, जीवन के परम रहस्यों को जानने में एकाग्र कर दिया, समर्पित कर दिया। इस मुल्क का एक ही लक्ष्य, एक ही उद्देश्य रहा कि कैसे मनुष्य की चेतना उस बिंदु तक उठ सके, जहाँ भगवत्ता से मिलन हो। कैसे भगवता और मनुष्य करीब आ सके।
केवल भारत में ही मृत्यु की कला खोजी गई, ठीक वैसे ही जैसे जीने की कला खोजी गई। सदियों से सारी दुनिया से साधक इस धरती पर आते रहे हैं। क्यों कि भारत प्राचीनकाल से ही आंतरिक रूप से अतिसमृद्ध रहा है। यहाँ उपनिषद, वेद के ख़ज़ाने आज भी जीवंत मौजूद है। इसलिए पूरे विश्व के बुद्धिजीवी मानते है कि भारतीयों से समृद्ध कौम इस पृथ्वी पर कहीं और नहीं है।
इस स्वतंत्रता दिवस पर मैं यही कहना चाहूंगा कि आईये हम थोड़ा और खुले, थोड़े और शांत और शिथिल होये, थोड़ा और समर्पण की भावदशा में डूबे, थोड़ा और इस देश मे विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय को बढ़ाये। तो ये संभव है कि आने वाले समय मे ये देश, मनुष्य के लिए जो आध्यात्मिक धरोहर का बड़े से बड़ा खजाना है वह पूरे विश्व को दे सके और फिर से भारत विश्वगुरू बनाने की दिशा में अग्रसर हो सके।
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