November 17, 2024

वैक्सीनेशन को प्रोत्साहित करने खेतों तक पहुंच रही युवा टोलियां

धार, 25 मई (आईएएनएस)| कोरोना संक्रमण की रफ्तार को रोकने का बड़ा हथियार वैक्सीनेशन माना जा रहा है, इसके लिए जरुरी है कि आमजन में जागृति आए और वे वैक्सीन लगवाने तैयार हों। आदिवासी अंचलों में लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं, इसे दूर करने के लिए धार जिले में यूथ फॉर चिल्ड्रन द्वारा गांव-गांव और खेत-खेत तक पहुंचकर अभियान चलाया जा रहा है। धार जिले का नालछा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है और यहां के लोगों में कोरोना को लेकर डर है, वे वैक्सीनेशन के लिए आसानी से तैयार नहीं हो रहे हैं। यहां लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां हैं, वे यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि कोरोना को वैक्सीन से कैसे रोका जा सकता है। आदिवासी वैक्सीनेशन के लिए तैयार हों, इसके लिए यहां के गांव तक यूथ फॉर चिल्ड्रन के स्वयं सेवक पहुंच रहे हैं।

यूथ फॉर चिल्ड्रन के स्वयंसेवक गांव गांव जाकर लोगों का ऑक्सीजन लेवल चेक कर रहे हैं, लोगों को मास्क वितरण कर रहे हैं साथ ही लोगों को हाथ धोने की जानकारी दे रहे हैं। यह टोलियां लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं और इसका असर भी दिख रहा है, लोग टीकाकरण सेंटर पर जाकर वैक्सीनेशन करवा रहे हैं।

गांव वालों को सलाह दी जा रही है कि बुखार आने पर सर्दी खांसी होने पर घबराए नहीं, एएनएम या डॉक्टर से सलाह लंे। उचित दवाई सही समय पर लें। टीकाकरण के दोनों डोज तुरंत लगवाएं और अपने खानपान के साथ अपने बच्चों का विशेष ध्यान रखें।

युवा टीम ने मालीपुरा, कनेरी पुरा, भील बरखेड़ा के खेत खलिहान में जाकर, चौपाल में पहुंचकर भी लोगों को कोरोना के प्रोटोकाल से अवगत कराया, साथ ही लोगों को वैक्सीनेशन के लाभ बताए।

युवा टीम की गायत्री परमार ने बताया कि धार कलेक्टर आलोक सिंह, यूनिसेफ के अनिल गुलाटी एवं स्वास्थ्य विभाग नालछा के डॉ. अरोरा के सहयोग से अपने अभियान में लगी हैं। सेवा भारती एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ यूथ फॉर चिल्ड्रन युवा वॉलंटियर भी लोगों के नजरिए में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। डॉ slovenska-lekaren.com. महेश यादव का कहना है कि लोग वैक्सीनेशन के लिए आगे आ रहे हैं। सभी का लक्ष्य कोरोना को मात देने का है और इसके लिए सभी लोग मिलकर काम भी कर रहे हैं। जनजागृति अभियान के चलते लोगों में वैक्सीनेशन को लेकर आकर्षण भी बढ़ा है और यही कारण है कि टीकाकरण केंद तक पहुंचने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है।

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