नई दिल्ली, 7 सितंबर (आईएएनएस)| एक सप्ताह पहले वित्तवर्ष 2020-21 की तिमाही अप्रैल-जून के दौरान भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट की खबर सामने आने के बाद रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और जाने माने अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने कहा है कि जीडीपी में नकारात्मक बढ़ोतरी हर किसी के लिए खतरे की घंटी की तरह है। हालिया परिदृश्य में सरकारी राहत या समर्थन के महत्व को लेकर उन्होंने इसे ‘अल्प’ माना।
लिंकडिन पर प्रकाशित नोट में उन्होंने यह भी कहा कि यदि अनौपचारिक क्षेत्रों के नुकसान को ध्यान में रखा जाए तो क्वार्टर-1 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत गिरावट और भी बुरा होगा।
राजन ने कहा, “वित्तवर्ष 2020-21 की पहली तिमाही के लिए हाल ही में जारी त्रैमासिक जीडीपी विकास के आंकड़े को लेकर हम सभी को चिंतित होना चाहिए। भारत में 23.9 प्रतिशत गिरावट (और संभवत: तब और बुरा होगा, यदि हम अनौपचारिक क्षेत्र में क्षति का अनुमान लगाते हैं) की तुलना इटली में 12.4 फीसदी और संयुक्त राज्य अमेरिका में 9.5 फीसदी की गिरावट के साथ की गई है, हालांकि ये दोनों सर्वाधिक कोविड प्रभावित हैं।”
इनकी तुलना में भारत और भी ज्यादा खराब स्थिति में है।
राजन ने कहा कि चूंकि कोरोनावायरस महामारी अभी भी भारत में फैला हुआ है, इसलिए सोच-समझ कर किए गए खर्च, खास तौर पर रेस्तरां और उससे जुड़े रोजगार, जहां संक्रमण के फैलने का ज्यादा खतरा है, वे वायरस के रहने तक निचले पायदान पर ही रहेंगे। उन्होंने साथ ही कहा कि इस परिदृश्य में सरकारी राहत और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
उन्होंने कहा कि हालांकि हालिया परिदृश्य में खासकर, गरीब परिवारों को मुफ्त खाद्यान्न और छोटे और मध्यम (एसएमई) फर्मों को ऋण देने के लिए बैंकों को क्रेडिट गारंटी के रूप में सरकार की पहल या समर्थन बहुत ही कम है।
पूर्व गवर्नर ने कहा, “आज और अधिक समर्थन करने की सरकार की अनिच्छा आंशिक प्रतीत हो रही है, क्योंकि वह संभावित भविष्य के लिए संसाधनों का संरक्षण करना चाहती है। यह रणनीति खुद को पीछे करने वाली है।”
उनके अनुसार, ऐसे समय में जब सरकार को अधिक खर्च करने और अधिक कार्रवाई करने के लिए संसाधनों का विस्तार करना चाहिए, तब भारत सरकार प्रारंभिक विस्फोट के बाद पीछे हटती प्रतीत हो रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की फर्मो को अपने भुगतान जल्दी से पूरे कर देने चाहिए, ताकि लिक्विडिटी निगमों तक पहुंच सके।
इसके अलावा, एक निश्चित आकार से नीचे की छोटी फर्मो को कॉर्पोरेट आय और पिछले साल या उसके कुछ हिस्से का भुगतान किए गए जीएसटी कर के आधार पर छूट दी जा सकती है।
राजन ने कहा, “यह उनकी ईमानदारी के लिए पुरस्कार के तौर पर हार्ड-टू-मैनिपुलेट मीट्रिक के आधार पर छोटी, व्यवहार्य फर्मो की मदद करने के उद्देश्य की तरह होगा।”
राजन के अनुसार, निजी क्षेत्र से भी मदद के लिए आग्रह किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “एमेजॉन, रिलायंस, और वॉलमार्ट जैसे कैश-रिच प्लेटफॉर्म छोटे आपूर्तिकर्ताओं को अपने पैरों पर वापस खड़ा करने में मदद कर सकते हैं, यहां तक कि उनमें से कुछ को फंडिंग भी कर सकते हैं। सभी बड़ी फर्मों को अपने प्राप्य को जल्दी से क्लियर करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।”
More Stories
05 अक्टूबर को होने वाले मतदान के दिन मतदान केन्द्रों में मोबाईल ले जाने पर रहेगा प्रतिबंध
समस्त देशवासियों को 15 अगस्त की हार्दिक शुभकामनाएं
मुख्य सचिव मति राधा रतूड़ी को प्रांतीय उपाध्यक्ष ललित पंत ने तीर्थाटन एवं पर्यटन किताब भेंट कि।