November 17, 2024

भारत में जल्द शुरू होगा स्पुतनिक वी का निर्माण : पॉल

नई दिल्ली, 27 मई (आईएएनएस)| रूस की स्पुतनिक वी कोविड वैक्सीन का निर्माण जल्द ही भारत में शुरू होगा, क्योंकि देश ने भारतीय कंपनियों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के काम को पूरा कर लिया है। कोविड (एनईजीवीएसी) के लिए वैक्सीन प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष डॉ. विनोद पॉल ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

पॉल ने उस मिथक को दूर करते हुए यह घोषणा की जिसमें यह कहा जा रहा है कि केंद्र विदेशों से वैक्सीन खरीदने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है।

पॉल ने कहा कि केंद्र सरकार ने अप्रैल में ही भारत में अमेरिकी एफडीए, ईएमए, ब्रिटेन की एमएचआरए और जापान की पीएमडीए और डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची द्वारा अनुमोदित टीकों को प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बना दिया है।

इन टीकों को पूर्व ब्रिजिंग परीक्षणों से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी। अन्य देशों में निर्मित बेहतर तरीके से परीक्षित और जांचे गए टीकों के लिए परीक्षण आवश्यकता को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रावधान में अब और संशोधन किया गया है।

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) पॉल ने आगे कहा, ” औषधि नियंत्रक के पास अनुमोदन के लिए किसी विदेशी विनिमार्ता का कोई आवेदन लंबित नहीं है।”

पॉल ने कहा ” स्पुतनिक वी वैक्सीन परीक्षणों में तेजी आई और समय पर अनुमोदन के साथ, रूस ने हमारी कंपनियों को टीके की दो किश्तें भेजते हुए निपुण तकनीक-हस्तांतरण पहले ही कर दी हैं और अब बहुत जल्द ही ये कंपनियां इसका निर्माण भी शुरू कर देंगी। हम सभी अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन निमार्ताओं से भारत में आने और भारत और दुनिया के लिए वैक्सीन बनाने के अपने अनुरोध को दोहराते हैं।”

यह घोषणा रूस की स्पुतनिक वी कोविड वैक्सीन और पैनासिया बायोटेक के डेवलपर्स की ओर से सोमवार को की गई घोषणा के बाद आई है, जिसमें कहा गया था कि भारत में खुराक का पूर्ण पैमाने पर उत्पादन इस गर्मी में शुरू होगा।

रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) या रूस का सॉवरेन वेल्थ फंड ने ग्लैंड फार्मा, हेटेरो बायोफार्मा, पैनासिया बायोटेक, स्टेलिस बायोफार्मा और विरचो बायोटेक जैसी भारतीय फार्मास्युटिकल फर्मों के साथ एक वर्ष में 85 करोड़ से अधिक खुराक बनाने के लिए करार किया है।

स्पुतनिक वी को भारत के ड्रग कंट्रोलर द्वारा आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दी गई है। रूस के टीके को आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण प्रक्रिया के तहत 12 अप्रैल को भारत में पंजीकृत किया गया था और रूसी वैक्सीन का उपयोग 14 मई से शुरू हुआ था।

आरडीआईएफ और पैनेशिया बायोटेक स्पुतनिक वी की एक वर्ष में 10 करोड़ खुराक का उत्पादन करने के लिए सहमत हुए हैं।

स्पुतनिक वी अब तक 3.2 अरब से अधिक की कुल आबादी वाले 66 देशों में पंजीकृत है। आरडीआईएफ और गामालेया सेंटर ने कहा है कि स्पुतनिक वी की प्रभावकारिता 97.6 प्रतिशत है, जो पिछले साल 5 दिसंबर से इस साल 31 मार्च तक स्पुतनिक वी की दोनों खुराक के साथ रूस में टीकाकरण करने वालों के बीच कोरोनावायरस संक्रमण दर के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है।

पॉल ने विस्तार से बताया कि केंद्र सरकार 2020 के मध्य से सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन प्रोड्यूसर्स के साथ लगातार जुड़ी हुई है और फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन और मॉडर्ना के साथ कई दौर की चर्चा हुई है।

पॉल ने कहा, ” हम सभी अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन प्रोड्यूसर्स से भारत और दुनिया के लिए भारत में आने और बनाने के अपने अनुरोध को दोहराते हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टीके खरीदना ऑफ द शेल्फ आइटम खरीदने के समान नहीं है।”

उन्होंने कहा, ” सरकार ने उन्हें भारत में उनके टीकों की आपूर्ति और निर्माण करने के लिए सभी सहायता की पेशकश की। हालांकि, ऐसा नहीं है कि उनके टीके मुफ्त आपूर्ति में उपलब्ध हैं।”

पॉल ने बाद में स्पष्ट किया कि विश्व स्तर पर टीके सीमित आपूर्ति में हैं, और सीमित स्टॉक को आवंटित करने में कंपनियों की अपनी प्राथमिकताएं, योजनाएं और मजबूरियां हैं। वे अपने मूल देशों को भी प्राथमिकता देती हैं जैसे हमारे अपने वैक्सीन निमार्ताओं ने हमारे लिए बिना किसी संकोच के किया है। फाइजर ने जैसे ही वैक्सीन की उपलब्धता का संकेत दिया, इसके बाद से ही केंद्र सरकार और कंपनी वैक्सीन के जल्द से जल्द आयात के लिए मिलकर कार्य कर रही हैं।

पॉल ने कहा कि केंद्र सरकार ने अप्रैल में यूएस एफडीए, ईएमए, यूके के एमएचआरए और जापान के पीएमडीए और डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची द्वारा अनुमोदित टीकों के प्रवेश को आसान बना दिया है।

पॉल ने कहा, ” केंद्र सरकार ने अप्रैल में ही भारत में यूएस एफडीए, ईएमए, यूके की एमएचआरए और जापान की पीएमडीए और डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची द्वारा अनुमोदित टीकों को प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बना दिया है। इन टीकों को पूर्व ब्रिजिंग परीक्षणों से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी। अन्य देशों में निर्मित बेहतर तरीके से परीक्षित और जांचे गए टीकों के लिए परीक्षण आवश्यकता को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रावधान में अब और संशोधन किया गया है। औषधि नियंत्रक के पास अनुमोदन के लिए किसी विदेशी विनिर्माता का कोई आवेदन लंबित नहीं है।”

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