हैदराबाद, 20 दिसंबर (आईएएनएस)| कोरोना की वजह से निराशा के बीच एक क्षेत्र जिसने आशा की किरण प्रदान की, वह जीवन विज्ञान है और क्षेत्र ने चुनौती को एक अवसर में बदलकर दिखाया है। इसी क्रम में हैदराबाद ने फार्मास्यूटिकल्स की दुनिया में एक वैश्विक ताकत के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत की है।
पहले से ही वैश्विक सूचना प्रौद्योगिकी शहर के रूप में पहचाने जाने वाले इस शहर ने फार्मास्यूटिकल्स और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी प्रगति साबित की और खुद को दुनिया की वैक्सीन राजधानी के रूप में उभारा है।
पहले से ही भारत की बल्क ड्रग कैपिटल के रूप में जाना जाने वाला हैदराबाद यहां स्थित कुछ शीर्ष फार्मा कंपनियों की ओर से रेमेड्सविर, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और फेविपिरवीर जैसी जीवन रक्षक कोविड-19 दवाओं के निर्माण का गवाह है।
शहर ने कोरोना वैक्सीन विकसित करने के लिए कठिन परिश्रम किए हैं। वास्तव में, हैदराबाद कोविड-19 टीकों के लिए देश में सभी अनुसंधान और विकास गतिविधियों के मुख्य केंद्र के रूप में उभरा है और यहां तक इस बाबत अंतरराष्ट्रीय ध्यान भी आकर्षित किया है।
आज देश में महामारी के लिए विकसित किए जा रहे लगभग सभी टीकों में हैदराबाद कनेक्शन है।
भारत में कोरोना वैक्सीन विकसित करने वाली छह कंपनियों में से चार हैदराबाद में स्थित हैं। भारत बायोटेक वर्तमान में भारत के पहले स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवाक्सिन का तीसरा क्लिनिकल ट्रायल कर रहा है।
कोवाक्सिन को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। यह स्वदेशी, निष्क्रिय टीका वैक्सीन यहां के जीनोम वैली में भारत बायोटेक के बीएसएल-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) बायो-कंटेनमेंट फैसिलिटी में विकसित और निर्मित किया जा रहा है।
भारत बायोटेक के अनुसार, कोवाक्सिन का मूल्यांकन चरण 1 और चरण 2 में क्लिनिकल ट्रायल में लगभग 1,000 विषयों में किया गया है, जिसमें आशाजनक सुरक्षा और प्रतिरक्षण परिणाम हैं।
फेज 3 ह्यमन क्लिनिकल ट्रायल नवंबर में शुरू हुआ, जिसमें पूरे भारत में 26,000 स्वयंसेवक शामिल थे। यह कोविड-19 वैक्सीन के लिए भारत का पहला और एकमात्र चरण 3 का प्रभावकारिता अध्ययन है।
भारत बायोटेक के संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा एला ने कहा, “कोवाक्सिन के आपूर्ति और परिचय को लेकर दुनिया भर के कई देशों ने दिलचस्पी ली है।”
अप्रैल में, भारत बायोटेक ने कोरोफ्लू के लिए एक इंट्रानैसल वैक्सीन कोरोफ्लू के विकास की घोषणा की। भारत-बायोटेक के साथ यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन-मैडिसन और वैक्सीन कंपनी फ्लुएंन ने कोरोफ्लू के विकास और परीक्षण की शुरूआत की। हैदराबाद स्थित कंपनी वैश्विक वितरण के लिए वैक्सीन की लगभग 300 मिलियन खुराक का उत्पादन करेगी।
भारत बायोटेक ने 140 से अधिक वैश्विक पेटेंट के साथ नवाचार का उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड होने का दावा किया है।
कंपनी ने अब तक, एच1एन1, रोटावायरस, जापानी एन्सेफलाइटिस, रेबीज, चिकनगुनिया, जीका और टाइफाइड के लिए दुनिया का पहला संयुग्मित वैक्सीन विकसित किया है। इसने दुनिया भर में टीकों की चार अरब से अधिक खुराक दी है। यह दुनिया का सबसे बड़ा रैबीज वैक्सीन निर्माता भी है।
एक अन्य शहर-आधारित फर्म बायोलॉजिकल ई ने पिछले महीने भारत में अपने कोविड-19 सबयूनिट वैक्सीन कैंडिडेट के क्लिनिकल ट्रायल की शुरूआत की, जो ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से अनुमोदन के बाद हुआ।
बीई, अमेरिका में स्थित एक बायोफार्मास्यूटिकल कंपनी, और ह्यूस्टन में एक स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन, डायनेक्स टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन (डायनावैक्स) के साथ मिलकर वैक्सीन बना रहा है।
बॉयोलोजिकल ई ने जॉनसन एंड जॉनसन के साथ अपने वैक्सीन उत्पादन सुविधाओं में बाद के टीके का उत्पादन करने और उन्हें भारत में बेचने और विभिन्न वैश्विक बाजारों में निर्यात करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
मानव और पशु वैक्सीन बनाने वाली इंडियन इम्यूनिॉजिकल्स भी कोरोना के लिए एक वैक्सीन विकसित कर रही है।
हैदराबाद स्थित फार्मा दिग्गज डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ने रूसी काविड-19 वैक्सीन स्पुतनिक 5 का क्लिनिकल ट्रायल कर रही है।
तेलंगाना के उद्योग मंत्री के. टी. रामाराव का मानना है कि हैदराबाद ने दुनिया की वैक्सीन कैपिटल के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है।
उन्होंने बताया कि हैदराबाद पहले से ही हर साल वैक्सीन की दो अरब से अधिक खुराक का निर्माण कर रहा है, जो वैश्विक वैक्सीन उत्पादन का एक तिहाई है।
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