November 15, 2024

ग्रामीणों ने की वैक्सीनेटर का तबादला रद्द किए जाने की मांग।

संवाददाता :- सुनील कुमार

लालकुआं, (उत्तराखंड)। बीते दिनों वैक्सीनेटर का तबादला रद्द किए जाने की मांग को लेकर ग्रामीणों का एक शिष्टमंडल कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत से मिला था और उन्होंने 05 नवंबर तक वैक्सीनेटर का तबादला रद्द किए जाने की मांग की थी, वहीं जब 05 नवंबर तक कोई फैसला नहीं हुआ तो आज 06 नवंबर को चोरगलिया में जुलूस निकालकर ग्रामीण प्रस्तावित धरना स्थल पर पहुंचे और धरना शुरू कर दिया। वहीं उप जिलाधिकारी परितोष वर्मा सहित पशु चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणों को बताया कि कुमाऊं कमिश्नर के निर्देश पर वैक्सीनेटर के तबादले के मामले में उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी एक सप्ताह में जांच करने के बाद अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक करेगी। उसे पत्र की कॉपी भी उप जिला अधिकारी और पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा आंदोलनरत ग्रामीणों को दी गई। इसके बाद सभी ग्रामीणों ने 12 नवंबर तक अपने धरना और भूख हड़ताल को स्थगित कर दिया गया।

ग्राम प्रधानों व क्षेत्र पंचायत सदस्य और ग्रामीणों का कहना है की जांच कमेटी में चुने हुए जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए, जिस पर प्रशासन ने सहमति जताई है। साथ ही ग्राम प्रधानों और जनप्रतिनिधियों ने स्पष्ट तौर पर कहा कि यदि 12 नवंबर तक वैक्सीनेटर का तबादले पर रोक नहीं लगाई गई तो वह पशु चिकित्सालय के बाहर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर देंगे।
वहीं ग्रामीणों द्वारा लालकुआं विधायक का विरोध किए जाने के बाद भाजपा संगठन भी एक्टिव हुआ है और इस मामले को लेकर जिला अध्यक्ष की मध्यस्थता में एक बैठक हो चुकी है। वहीं भाजपा के पदाधिकारी व समर्थित ग्राम प्रधान तथा क्षेत्र पंचायत सदस्य अपने क्षेत्र की जनता के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। इस मामले में विधायक के साथ-साथ पार्टी और सरकार की भी किरकिरी हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर विधायक द्वारा खुद पहल करके वैक्सीनेटर का तबादला रद्द कराकर और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मुकदमे को वापस लिए जाने का काम किया जाएगा, तो ग्रामीण इस मामले को यहीं खत्म कर देंगे। अन्यथा यह मामला आगे तक जाएगा। वही ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचे उप जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है जिसमें इस मामले में मुख्यमंत्री से स्वत: हस्तक्षेप कर जनता का पक्ष सुने जाने की मांग की गई है।

 

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