कोलकाता, 3 अप्रैल (आईएएनएस)| निर्वाचन आयोग ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के नंदीग्राम में हाल के वर्षो में सबसे अधिक मतदान हुआ है। एक चौथाई से अधिक बूथों में 90 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया है।
शनिवार को चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि नंदीग्राम में 88.01 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया जो राज्य में पिछले तीन चुनावों की तुलना में मामूली रूप से बेहतर है।
चुनाव आयोग द्वारा जारी बूथ वार विस्तृत सारांश से पता चला है कि पूर्वी मिदनापुर जिले में मतदान प्रतिशत 87.4 दर्ज किया गया, लेकिन नंदीग्राम में 88.01 प्रतिशत मतदान हुआ, जो जिले के औसत से कुछ बेहतर है। न केवल जिला औसत, बल्कि पिछले कुछ चुनावों में लोगों के लोकतांत्रिक उत्साह ने भी इसके प्रदर्शन पर असर डाला है।
वर्ष 2014 और 2019 में लोकसभा चुनावों में नंदीग्राम में क्रमश: 85.7 और 85 प्रतिशत मतदान हुआ था और पिछले विधानसभा चुनावों में इसका प्रतिशत 86.9 था। केवल 2011 के विधानसभा चुनावों में, जब ममता बनर्जी भूमि सुधार आंदोलन के कारण सत्ता में आई थीं, नंदीग्राम ने 88.3 प्रतिशत मतदान के साथ इस चुनाव से बेहतर प्रदर्शन किया था।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी के बीच हाई-वोल्टेज चुनावी द्वंद्व ने मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक पहुंचाया, लेकिन ऐसे अन्य कारक भी हैं जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। नंदीग्राम में लगभग 2,57,000 मतदाता हैं। इनमें से 2,27,000 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया।
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इन मतदाताओं में से 54,000 मुस्लिम मतदाता हैं और बाकी 1,73,000 हिंदू मतदाता हैं। यह स्वयं दर्शाता है कि 83 प्रतिशत मुस्लिम मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है, जहां 92 प्रतिशत से अधिक हिंदू मतदाताओं ने अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग किया है।
चुनाव विश्लेषक विश्वनाथ चक्रवर्ती ने आईएएनएस को बताया कि नंदीग्राम जैसी जगह में, जहां मतदाताओं का ध्रुवीकरण हो गया है, यह निश्चित रूप से एक निर्णायक कारक बन जाएगा।
एक तथ्यात्मक विश्लेषण भी इस सिद्धांत का समर्थन करेगा। अगर हम चुनाव आयोग के आंकड़ों पर गौर करें तो नंदीग्राम के 355 बूथों में से 89 बूथों पर 90 प्रतिशत के ऊपर मतदान दर्ज किया गया। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से अधिकांश बूथ हिंदू बहुल इलाकों में स्थित हैं।
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