लखनऊ, 2 जून (आईएएनएस)| लखनऊ के बाहरी इलाके में स्थित इमालिया गांव खामोश सदमे और शोक में डूबा हुआ है।
25 अप्रैल से 15 मई के बीच 20 दिनों के भीतर एक परिवार के सात सदस्यों की मृत्यु हो गई। आठवां सदस्य लगातार मौतों के सदमे को सहन करने में असमर्थ था और हृदय गति रुकने से उसकी मृत्यु हो गई।
मृतकों में परिवार के चार भाई शामिल हैं।
परिवार के जीवित मुखिया ओंकार यादव के अनुसार, “मेरे चार भाई, दो बहनें और मां की कोविड से मृत्यु हो गई। मेरी मौसी इस सदमे को सहन नहीं कर सकीं और उनकी हृदयघात से मृत्यु हो गई।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने सुबह अपनी मां का अंतिम संस्कार किया और फिर उसी दोपहर तीन भाइयों का अंतिम संस्कार किया। मेरे छोटे भाई और दो बहनों की अगले दिनों में मृत्यु हो गई।”
यादव ने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों को अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्हें ऑक्सीजन बेड और उचित इलाज नहीं दिया गया।
सोमवार को उन्होंने परिवार के पांच सदस्यों की तेहरावी रस्म अदा की। शेष तीन सदस्यों के लिए अनुष्ठान बाद में किया जाएगा।
गांव के मुखिया मेवाराम ने कहा कि सरकार की ओर से एक भी प्रतिनिधि गांव में नहीं आया है।
उन्होंने कहा कि मौतों के बावजूद गांव में सैनिटाइजेशन नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा ” हमें अपना बचाव करने और इलाज के बिना मरने के लिए छोड़ दिया गया है। परिवार के बच्चे अभी तक सह नहीं पा रहे हैं कि इतने बड़े बुजुर्ग अचानक से गायब क्यों हो गए हैं।”
परिवार के एक सदस्य ने कहा, “जब शव आए तो हमने उन्हें एक पड़ोसी के घर भेज दिया। वे अब भी सोचते हैं कि लापता सदस्य जल्द ही लौट आएंगे।”
उन्होंने अपने माता पिता को खो चुके इन बच्चों के भविष्य के बारे में भी चिंता व्यक्त की।
परिवार के सदस्य ने कहा, “हमें यह भी यकीन नहीं है कि हमारे लिए कोई सरकारी सहायता होगी क्योंकि किसी ने भी हमसे संपर्क तक नहीं किया है।”
More Stories
अब ऑनलाइन चालान नहीं कटेगा तीन चौराहों पर बंद होगी ट्रैफिक लाइट,,,
हैडिंगसमाज में फैली कुरीतियों को श्री गुरु नानक देव ने दूर किया : मनमोहन सिंह
मां गंगा की रक्षा सेवा का लिया संकल्प, कार्तिक पूर्णिमा पर 5125 दीयों की रोशनी से चमका राम गंगा घाट