लखनऊ, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| सूबे में पारंपरिक उद्योगों के जरिए निर्यात को बढ़ावा देने को लेकर यूपी सरकार की पहल का असर हुआ है। इसके चलते कोरोना महामारी के बावजूद लकड़ी, सिल्क, जूट और इनसे बने उत्पादों का अमेरिका तथा यूरोप के देशों में निर्यात बढ़ा है। उक्त देशों में यूपी के लखनऊ, कानपुर, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, वाराणसी, भदोही और गोरखपुर सहित कई जिलों में लकड़ी, जूट, सिल्क से बनाए गए उत्पाद तथा कालीन आदि की मांग में इजाफा हुआ है।
बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष अप्रैल और मई माह में 744.15 करोड़ रुपए के कालीन, 72.87 करोड़ के कॉटन एवं सिल्क, 328,60 करोड़ रुपए के टेक्सटाइल और लकड़ी तथा लकड़ी से बने खिलौनों, फोटोफ्रेम तथा अन्य कलाकृतियों का 433.81 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ है जो वर्ष 2020 में हुए निर्यात से अधिक है। निर्यात के कारोबार में हुए इस इजाफे से उक्त जिलों में लकड़ी, सिल्क, जूट, कालीन तथा टेक्सटाइल के कारोबार को लाभ हुआ है।
अधिकारियों के अनुसार, निर्यात को बढ़ावा देने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले प्रोत्साहन के चलते ही इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल एवं मई में राज्य से 21,500.85 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ है। जो पिछले वर्ष के मुकाबले 152.67 फीसदी अधिक है। केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों से हुए निर्यात के जारी किए गए लैटेस्ट आंकड़ों में यह खुलासा किया गया है।
केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न राज्यों से हुए निर्यात के जारी किए गए इन नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष अप्रैल -मई में राज्य से 21,500.85 करोड़ रुपए का सामान निर्यात किया गया। जबकि बीते वर्ष अप्रैल-मई में 8511.34 करोड़ रुपए का सामान निर्यात किया गया था।
इन्ही आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष लकड़ी तथा जूट से बने उत्पाद और रेशम से बनी साड़ी, भदोही में बनी कालीन, दरी के अलावा टेक्सटाइल फैब्रिक, ओवन फैब्रिक, मैन्मेद स्टेपल फैब्रिक, फुटवियर, ग्लासवेयर, आयरन, स्टील, एल्युमिनियम, चावल, चीनी, दूध, आटा, प्लास्टिक उत्पाद, सिल्क, कृत्रिम फूल आदि का विदेशों से खूब निर्यात किया गया। अमेरिका और यूरोप जैसे देशों के साथ ही नेपाल, बंगालदेश और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों ने कोरोना काल के दौरान यूपी से बड़ी संख्या में ओडीओपी उत्पाद मंगवाए।
राज्य सरकार के अनुसार, इस वर्ष अप्रैल-मई में 43.51 करोड़ रुपए के कॉटन के कपड़े, 29.36 करोड़ रुपए के सिल्क उत्पाद, 744.15 करोड़ रुपए के कालीन का निर्यात किया गया। इसी प्रकार 742.47 करोड़ रुपए के फुटवियर का निर्यात किया गया, जबकि बीते साल 147.04 करोड़ रुपए का निर्यात किया गया था। इसी प्रकार इस वर्ष अप्रैल-मई में 310.77 करोड़ रुपए के ग्लासवेयर का निर्यात किया गया, जबकि बीते साल 39.99 करोड़ रुपए का निर्यात किया हुआ था। इसी प्रकार इस वर्ष 120.83 करोड़ रुपए के खिलौनों का निर्यात किया गया, जबकि बीते साल 26.19 करोड़ रुपए का निर्यात किया हुआ था। इसी तरह इस वर्ष 744.15 करोड़ रुपए के कालीन और टेक्सटाइल फैब्रिक का निर्यात किया गया, जबकि बीते साल 247.63 करोड़ रुपए का निर्यात किया हुआ था। लेदर से बने पर्स, बेल्ट, बैग तथा अन्य उत्पादों का निर्यात इस वर्ष 493.80 करोड़ रुपए का हुआ, जबकि बीते वर्ष 79.21 करोड़ रुपए के ही लेदर से बने उत्पादों का निर्यात हुआ था।
अब तो ताजे आम, अंगूर के साथ ताजे प्याज व सब्जियों के अलावा मूंगफली, प्रसंस्कृत फल, जूस व मेवे का निर्यात भी यूपी से हो रहा है। फलों व सब्जियों के बीज, खीरे, फूल की भी मांग बढ़ी है। पहली बार जामुन का निर्यात हुआ है।
प्रदेश सरकार द्वारा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए प्रयासों के चलते ही लकड़ी एवं जूट से बने उत्पादों के अलावा चावल, खिलौने, दवाई, कालीन, सिल्क, उर्वरक, मछली उत्पाद, चीनी और कृत्रिम फूल जैसे सामानों के विदेशों से खूब आर्डर मिले। जिसके चलते अब यूपी निर्यात के मामले में देश में अपने छठवें स्थान पर है। अब प्रदेश सरकार इस स्थान से ऊपर पहुंचने की मंशा रखती हैं। इस कारण दस देशों के राजदूतों के माध्यम से निर्यात को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही हर जिले में ओवरसीज ट्रेड प्रमोशन और फैसिलिटेशन सेन्टर बनाने का फैसला किया हैं।
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