बाबूराम (बरेली व्यरो चीफ)
बरेली । कुंभकर्ण बेवकूफी इस बार रावण पर और ज्यादा भारी पड़ी। रावण कहता रहा मगर कुंभकर्ण ने फिर भी कोविड से बचाव के लिए वैक्सीन नहीं लगवाई और राम से युद्ध से पहले ही कोविड ने उसकी जान ले ली। नतीजा यह हुआ कि जोगी नवादा की रामलीला में इस बार रावण और मेघनाद के ही पुतले नजर आए । राम के हाथों वध होने के बाद उन्हीं दोनों के पुतलों का दहन हुआ। जोगी नवादा की रामलीला में हर साल दशहरे पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है लेकिन इस बार लोग दशहरा मेले में पहुंचे तो वहां युद्धभूमि पर उन्हें सिर्फ रावण और मेघनाद के ही पुतले खड़े नजर आए। हैरत में पड़े लोगों ने इस बारे में कमेटी के पदाधिकारियों से सवाल करने शुरू किए तो बताया कि युद्धभूमि में कुंभकर्ण क्यों नहीं है, यह जवाब तो उसका बड़ा भाई रावण ही दे पाएगा। कारण पता करना है तो युद्धभूमि पर खड़े रावण के पुतले के पास जाइए। कमेटी पदाधिकारियों के नाटकीय जवाब से लोगों की जिज्ञासा और बढ़ी। वे लोग रावण के पुतले के पास पहुंचे तो उस पर एक बड़ा सा पोस्टर लगा था जिस पर लिखा था, मेरे भाई कुंभकर्ण ने वैक्सीन नहीं लगवाई जिसकी वजह से वह कोरोना से ही खत्म हो गया। मैंने और मेघनाद ने वैक्सीन लगवा ली है। आप भी वैक्सीन लगवाओ और अपनी जिंदगी बचाओ। कुंभकर्ण की कोरोना से मौत रामलीला मेले में अंत तक चर्चा का विषय बनी रही। राम के हाथों सिर्फ रावण और मेघनाद का ही वध हुआ। मेला समिति के सदस्य सुनील ने बताया कि रावण के माध्यम से शहर के लोगों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है लिहाजा सभी को वैक्सीन की दोनों डोज लेने और सावधान रहने की जरूरत है।
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