बिजनौर (उत्तर प्रदेश), 25 नवंबर (आईएएनएस)| बिजनौर जिले के एक सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) ने दहेज के खिलाफ लड़ने के लिए एक नया तरीका निकाला है। एसडीएम ने अपने कार्यालय में आने वाले युवाओं से सरकारी नौकरी में आवेदन करने या शामिल होने के लिए जरूरी विभिन्न दस्तावेजों के सत्यापन के लिए पहले ‘दहेज विरोधी’ हलफनामे पर हस्ताक्षर करने को कहा है।
एसडीएम देवेंद्र सिंह द्वारा अपनी ‘व्यक्तिगत क्षमता’ में जारी एक नोटिस में कहा गया है, “यदि आप सरकारी नौकरी के लिए दस्तावेजों का सत्यापन चाहते हैं, तो आपको यह लिखित रूप में देना होगा कि आप दहेज नहीं लेंगे।”
अपने दस्तावेजों के सत्यापन के लिए आने वाले युवाओं के पास प्रतिज्ञा पर हस्ताक्षर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
सिंह, (जिन्होंने इस सप्ताह की शुरूआत में पहल शुरू की थी) ने कहा, “इसका उद्देश्य समाज से दहेज को खत्म करना है। दहेज निषेध अधिनियम पहले से ही लागू है। इसके तहत दहेज में संपत्ति, सामान या शादी के दौरान किसी भी पार्टी के माता-पिता, किसी और के द्वारा दी गई धन शामिल है। अधिनियम के बावजूद, कई लोग अभी भी विवाह के दौरान दहेज मांगते हैं।”
सिंह ने स्पष्ट किया कि युवाओं को इस तरह का हलफनामा देना उनका ‘निजी निर्णय’ है और इसका राज्य सरकार से कोई लेना-देना नहीं है।
एसडीएम ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि मेरे इस फैसले का युवाओं पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा और वे शादी के बाद दहेज लेने से हतोत्साहित होंगे।”
पहल शुरू होने के बाद से, भारतीय सेना के लिए चुने गए दो लोगों ने पहले ही हलफनामा दे दिया है।
उनमें से एक, शाह फैसल, ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति थे। फैसल ने अपने हलफनामे में लिखा, “मैं अविवाहित हूं और जब भी मैं शादी करूंगा, मैं कोई दहेज नहीं लूंगा।”
सिंह ने पहले एक पहल शुरू की थी, जिसके तहत शांति भंग के लिए हिरासत में लिए गए लोगों को इस शर्त पर जमानत दी गई थी कि वे पेड़ लगाएंगे।
उन्होंने कहा, “अब तक करीब 12 लोगों ने इस तरह के शपथ पत्र दिए हैं। उनके वृक्षारोपण कार्य का औचक निरीक्षण किया जाएगा।”
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