कुमार गौरव (रिपोर्टर बरेली)
बरेली / बरेली दलित दबदबे का गवाह फरीदपुर आरक्षित सीट से जो पार्टी जीती सत्ता में उसी की चमक रही। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बरेली जिले की फरीदपुर विधानसभा सीट कई मायनों में कुछ खास मानी जाती है। पहले यहां की अनुसूचित जाति की सीट होने के बाद भी उस पर लंबे समय तक सपा और भाजपा का कब्जा रहा। दलित वोट बैंक मानी जाने वाली बसपा केवल एक बार चुनाव जीत सके खास बात यह है कि इस सीट से पूछ ले तीन चुनावों में जो पार्टी दी थी उसकी चमक लखनऊ तक दिखाई दी वहीं पार्टी सत्ता में आई इस सीट को लेकर यह इतिहास देखते आ रहे हैं वोटर इस बार भी यह इंतजार कर रहे हैं इस सीट को लेकर यह तिलिस्मी बरकरार रहेगा। फरीदपुर विधानसभा सीट के बारे में कहा जाता है कि जिस पार्टी के प्रत्याशियों को यहां से सफलता मिल गई उसी की प्रदेश में सरकार बनती है वहीं 2007 के विधानसभा चुनाव से जिस पार्टी के विधायक यहां से बन गया उसी पार्टी की प्रदेश में सरकार बनी। बरेली की फरीदपुर विधानसभा सीट पर वैसे तो 2002 में समाजवादी पार्टी की नाप रसिया राम सागर चुनाव जीतकर विधायक बने थे लेकिन 2002 के विधानसभा चुनाव के बाद सूबे में बहुजन समाज पार्टी की कुछ दिनों तक सरकार रही थी उसके बाद मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने सरकार बनाई थी। इसके बाद 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा से विजय पाल सिंह जीते।2017 के फरीदपुर विधानसभा से भाजपा के श्याम बिहारी लाल विधायक बने तो प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी। अब 2022 के विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा के टिकट पर मौजूदा विधायक श्याम बिहारी लाल मैदान में तो है वहीं दूसरी तरफ सपा ने विजयपाल को अपना प्रत्याशी बनाया। कांग्रेस से समाजवादी पार्टी में रहे पूर्व विधायक स्वर्गीय सियाराम सागर के बेटे विशाल सागर मैदान में हैं। बसपा से शालिनी सिंह चुनाव लड़ रही हैं।
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