रिपोर्टर :- नंदलाल यादव
वाराणसी, (उत्तर प्रदेश)। पहाड़ी इलाकों में बारिश और यमुना के दबाव से गंगा में उफान जारी है। तेजी से बढ़ रहा गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु के बेहद करीब पहुंच चुका है। काशी के विश्व प्रसिद्ध घाट पूरी तरह गंगा में समाहित हो गए है। वही गंगा में काशी के दो महाश्मशान मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शवो के दाह संस्कार में काफी दिक्कतें होने लगी है। मणिकर्णिका घाट पर जहां एक तरफ शवो के लिए घाट की छतों पर चिताएं लगाई जा रही है, तो वही हरिश्चंद्र घाट की गलियों में चिताएं जलाईं जा रही है। ऐसे में शवदाह करने आने वाले यात्रियों को घंटो इंतजार करना पड़ रहा है। हरिशचंद्र घाट की गलियों में शवदाह के कारण गलियों में रहने वाले लोगो को तमाम परेशानियों से रूबरू होना पड़ रहा है। हरिश्चन्द्र घाट पर शव दाह करने वाले पवन चौधरी ने बताया कि बाढ़ की स्थित उत्पन्न होने के कारण अब गलियों में शवों का अंतिम संस्कार हो रहा हैं। हर साल बाढ़ के वक्त ऐसे ही हालात होतें हैं। जिससे डोमराजा समाज के साथ सभी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हरिश्चंद्र घाट पर गलियों में शवों का दाह संस्कार हो रहा है। ऐसे में मोक्ष के लिए शवयत्रियों को घण्टो तक रुकना पड़ रहा है, क्योंकि गलियों में एक बार में दो ही शव जल पा रहे है। वही हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह के लिए पहुंचे बनारसी और मनोज पटेल ने बताया कि गंगा का जलस्तर बढ़ने से शवदाह में काफी दिक्कत आ रही है। पहले शव को गंगा में स्नान कराने के लिए नीचे सीढ़ियों से उतरना पड़ा उसके बाद अंत्योष्टि के लिए ऊपर गली में लेकर जाना पड़ रहा है। इसके बाद ही गली में जगह भी बहुत कम है लोगों को इधर-उधर बैठना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए ताकि लोगों को इस समस्या से निजात मिल सके।
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