नई दिल्ली, 4 जुलाई | देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) को कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के वांछित अपराधी विकास दुबे का पता लगाने के अभियान में शामिल किया गया है। इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की मदद कर रहे हैं, ताकि अपराधी दुबे का पता लगाया जा सके।
गौरतलब है कि इस गैंगस्टर के नाम पर करीब 60 मामले दर्ज हैं, इसके अलावा उसे राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है।
सूत्रों का कहना है कि इंटेलिजेंस ब्यूरो और स्पेशल टास्क फोर्स को संदेह है कि गैंगस्टर चंबल के बीहड़ों में छिपा हो सकता है। उन्होंने दुबे के ठिकाने का पता लगाने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस से भी मदद मांगी है। पुलिस उसके ठिकाने की तलाश में लगी है, वहीं अगर आगामी 24 घंटों के अंदर उसका पता नहीं चल पाता है तो राज्य सरकार उसका पता बताने वाले को भारी इनाम देने की घोषणा कर सकती है।
जांच के दौरान यह जानकारी सामने आई है कि दुबे का कई राज्य के राजनेताओं और कानून प्रवर्तन एजेंसी- उप्र पुलिस के साथ गहरे संबंध थे। एक शीर्ष आईपीएस अधिकारी ने कहा, “उप्र में बदमाशों, राजनेताओं और नौकरशाहों के बीच सभी सांठगांठ का खुलासा होगा।”
बीते दिन उप्र सरकार ने कानपुर में स्थित गैंगस्टर के घरों को ध्वस्त कर दिया। विकास दूबे ने कानपुर के चौबेपुर पुलिस सर्कल के तहत बिकरू गांव में आठ पुलिस कर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
घर को गिराने से पहले घर के चारों ओर 50 मीटर के क्षेत्र में घेराबंदी कर दी गई थी और दुबे के पिता और उसके परिवार के सदस्यों सहित नौकरों को परिसर को खाली करने के लिए कहा गया था। घरों के साथ ही वाहनों के पाकिर्ंग स्थान को भी गिरा दिया गया।
करीब 30 से 40 फीट ऊंची और मोटी दीवारों से घिरे घर को सुरक्षित रखने के लिए कॉन्सर्टिना तार और 50 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे।
दुबे ने कानपुर और अन्य स्थानों पर करोड़ों रुपये की भूमि पर अवैध कब्जा किया था, इसके साथ ही उसके पास महंगे फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के अलावा कई लग्जरी गाड़ियां थीं।
बता दें कि दुबे गिरोह ने शुक्रवार तड़के आठ पुलिस कर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसमें पुलिस उप-अधीक्षक भी शामिल थे, वहीं इस घटना में सात अन्य घायल हो गए।
दुबे के खिलाफ हत्या के प्रयास की दर्ज शिकायत के आधार पर कार्रवाई करते हुए राज्य पुलिस की टीम बहुत ही सावधानी से गैंगस्टर को पकड़ने के लिए गई थी, लेकिन घात लगाए गैंगस्टर और उसके साथियों ने टीम पर हमला कर दिया।
दुबे ने कई पार्टियों से सालों तक राजनीतिक संरक्षण का लाभ उठाया है। वहीं उसके खिलाफ साल 1993 से हत्या, लूट, अपहरण और जमीन हथियाने जैसे 60 मामले दर्ज हैं।
साल 2001 में उस पर शिवली पुलिस स्टेशन के अंदर एक भाजपा नेता और राज्य मंत्री संतोष शुक्ला की हत्या का आरोप भी लगा था। हालांकि सबूतों की कमी के कारण दुबे को गिरफ्तार नहीं किया गया था।
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